Ek Soch - 29

Ek Soch - 24

 वह बचपन ही क्या,

जहाँ लातो से ख़ाली केन को किक ना मारी हो ।


वह बचपन ही क्या,

जहाँ लातो से ख़ाली केन को किक ना मारी हो ।।


वह ज़िंदगी ही क्या,

जहाँ उसी केन को ख़रीदने के लिए रातो की नीद ना मारी हो।

रातो की नीद ना मारी हो।।



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